रांची- झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के तत्वावधान में आहूत झारखंड बंद ऐतिहासिक सफल रहा । पूरे राज्य में आंदोलनकारियों के जोश और जुनून बंद के दौरान जवानी की कहानी कहने जैसा जबरदस्त देखने को मिले।
आदिवासी समाज एवं कुशवाहा समाज की महिलाएं बड़ी संख्या में तीर धनुष लिए झारखंड बंद करने के आंदोलन को गतिमान बना रहीं थीं।
बड़े गाड़ियों का परिचालन बंद से प्रभावित रहा। बस डिपो में सन्नाटा देखा गया
आंदोलनकारी रांची शहर में घूम-घूम कर दुकानों को बंद कराए । पुलिस के साथ झड़प एवं कई जगह नोक झोंक भी हुए । शहर के व्यवसाईयों ने शांतिपूर्ण बंद में आंदोलनकारियों को सहयोग दिया।
संवैधानिक अधिकारों एवं राज्य गठन के मूल्यों की रक्षा के तहत आंदोलनकारियों के जेल जाने की बाध्यता को समाप्त करते हुए राजकीय मान सम्मान ,अलग झारखंडी पहचान , बेटा -बेटियों को रोजी रोजगार एवं नियोजन के सौ फीसद अधिकार की गारंटी करने तथा स्वाभिमान के साथ आंदोलनकारियों के जीने के लिए सम्मान पेंशन राशि 50-50 हजार रु देने की मांग सरकार से की गई। सरकार से मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए पूर्व राज्यपाल कैलाशपति मिश्र की प्रतिमा को शीघ्रता शीघ्र हटाने, पेसा कानून, समता जजमेंट लागू कर 26 प्रतिशत रॉयल्टी का अधिकार देने ,सीएनटी एसपीटी एक्ट का सख्ती से लागू करने की मांग की गई।
मौके पर झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के संस्थापक एवं प्रधान सचिव पुष्कर महतो ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी अपने स्वाभिमान एव्ं झारखंड की अस्तित्व और अस्मिता की रक्षा के लिए हजारों हजार की संख्या में परंपरागत अस्त्र- शस्त्र के साथ झारखंड बंद करने के लिए सड़कों पर जाति ,धर्म एवं पार्टी की भावनाओं से ऊपर उठकर अपनी चट्टानी एकता का परिचय दिया। आंदोलनकारी ने आज ठान लिया है कि हम अपने संवैधानिक अधिकार सम्मान पेंशन राशि 50-50 हजार रुपया लेकर रहेंगे। साथ ही झारखंड अलग राज्य के गठन के मूल्यों के आधार पर अपने पुत्र पुत्रियों के लिए रोजी रोजगार एवं नियोजन की सौ फीसद अधिकार की गारंटी कराकर दम लेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार को झारखंड आंदोलन के अगुआ नेता वीर शिबू सोरेन के मनोदशा को देखकर ही आंदोलनकारियों के शारीरिक एवं मानसिक दिन दशा को समझना चाहिए एवं समुचित सुविधाएं एवं लाभ सुलभ करना चाहिए।
केंद्रीय उपाध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने कहा कि झारखंड बना है झारखंडियों के लिए, लेकिन झारखंड बनने वाले आज हाशिये पर है, दुख में है, आर्थिक तंगी में जीवन व्यतीत कर रहे हैं मेडिकल की सुविधाओं से वंचित है,
कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। झारखंड आंदोलनकारी को अलग झारखंडी पहचान एवं राजकीय मान सम्मान नहीं मिलना दुर्भाग्य की बात हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जिला संयोजक सुबोध लकडा ने कहा कि सरकार 2019 में किए गए वादा को पूरा करें और एक-एक झारखंड आंदोलनकारी को सम्मान पेंशन व सुविधाएं देने का काम करें।
इस अवसर पर भाकपा के जिला सचिव अजय सिंह ने कहा कि झारखंड को इस साधारण राज्य नहीं है । इस राज्य को बनाने के लिए हमारे लोगों ने कठिन संघर्ष त्याग और बलिदान हुए हैं। आंदोलन कारियों के भावनाओं के अनुरूप झारखंड को गढ़ने का काम राज्य सरकार करें l
इस मौके पर संजू टोप्पो अंथन लकड़ा दिनेश महतो, जबिउला अंसारी, जुवेल तिर्की सूरज केवट चंदा उरांव सूरज गुप्ता रोहित घोष संजू उरांव फुल्लू सिंह ,प्रदीप किस्पोट्टा ,जोसेफ मिंज, बिरसा भगत सांद उरांव राज हेमरोम ,रामकिशन भगत, झिरगा उरांव सावित्री देवी सुरजी देवी सरस्वती देवी पूनिया देवी शनिचरिया देवी अनीता उराइन ,गोरा उराँव, गौरव शंभू कुमार सहित झारखंड आंदोलनकारी युवा मोर्चामोर्चा, सी पी आई के समर्थक उपस्थित थे।
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