अंततः शराबबंदी नीति को ले कर सवालों के घेरे में आई दलित राजनीति पर भाजपा की गुगली आ ही गई। यह गुगली भाजपा के दलित नेता और नीतीश कैबिनेट के मंत्री जनक राम ने फेंकी। बड़ी साफगोई से जनक राम ने अपने सहयोगी दल के विरोध को सूचनात्मक बताते अपरोक्ष रूप से इसका सारा दोष राजद की तरफ मोड़ दिया। आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रख कर भाजपा नेतृत्व ने बड़े सलीके से लोजपा(आर) और हम पार्टी के विरोध को सूचनात्मक बताते इसे शराबबंदी की राह में सुझाव बताया।
मंत्री और भाजपा नेता जनक राम कहा कि शराबबंदी से सबसे ज्यादा फायदा दलित समाज को हुआ है। जीतन राम मांझी और रत्नेश सदा ने अपना कुछ अनुभव बताया है।।श्री राम ने कहा कि जीतन राम मांझी बिहार के मुखिया रह चके हैं और रत्नेश सदा हमारे मंत्री हैं अगर उन्होंने शराबबंदी को लेकर कुछ बातें कही हैं तो आपके माध्यम (मीडिया) से जनता को उजागर करने का काम किया है। जरूरत यह जानने की है कि शराब की होम डिलीवरी की जो बातें आ रही हैं तो वो कौन करवा रहा है? उसके पीछे अगर जांच हो तो स्पष्ट हो जाएगा। दलितों को बदनाम करने के लिए एक साजिश और षड्यंत्र किया जा रहा है।
मंत्री जनक राम ने कहा कि शराब पीने से अनुसूचित जाति, जनजाति और अत्यंत पिछड़े लोग ही कहीं ना कहीं अपंग हो रहे थे। इस वर्ग के बच्चे पढ़ने से वंचित हो रहे थे। कमाते कम थे, शराब पर खर्चा ज्यादा करते थे। यही वजह है कि शराबबंदी के लिए गरीब, दलित परिवार की महिलाएं खुल कर धन्यवाद दे रही हैं।
लेकिन इसी बयान को देख कर ये भी समझ आ रहा है कि कहीं न कहीं दलित राजनीति में भी कन्फ्यूजन है। दरअसल एनडीए के भीतर शराबबंदी को ले कर दलित राजनीति के अपने-अपने सुर होने से कन्फ्यूजन हो रहा था। इसका लाभ कहीं न कहीं विपक्ष भी उठा रहा था। खास कर शराबबंदी को ले कर अपनी ही सरकार के विरुद्ध में खड़े होने से बिहार की दलित राजनीति पर संशय के बादल मंडराने लगे थे। ऐसे में भाजपा की राजनीति भी कठघरे में थी। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कह डाला कि प्रदेश में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी और यहां तक की जज भी शराब पी रहे हैं। होम डिलीवरी हो रही है। बड़े-बड़े अधिकारी शराब का सेवन करते हैं। लेकिन जेल में मजदूर, गरीब, दलित या पिछड़ी जाति के लोग ही बंद हैं। उधर प्रशांत किशोर ने यहां तक वादा कर दिया है कि अगर बिहार में उनकी सरकार बनी तो एक घंटे के अंदर शराबबंदी खत्म कर दी जाएगी।
लोजपा (आर) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी नीतीश कुमार की शराबबंदी की जम कर आलोचना की। उन्होंने कहा कि हर जगह शराब उपलब्ध है और धड़ल्ले से होम डिलीवरी की जा रही है। सो,शराबबंदी की गलत नीति को ले कर लोजपा(आर ) के अध्यक्ष चिराग पासवान और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के संस्थापक जीतनराम मांझी के लगातार आक्रमण से एनडीए की दलित राजनीति सवालों के घेरे में आ गई। ऐसे में भाजपा के मंत्री जनक राम का शराबबंदी के समर्थन में आया बयान डैमेज कंट्रोल की नीति का एक पार्ट है। बहरहाल यह देखना है कि भाजपा के इस प्रयास का असर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कितना हो पाता है? लेकिन ये भी तय मानिए कि जब तक सीएम की कुर्सी पर नीतीश कुमार हैं, उनका ये फैसला बदलना असंभव जैसा ही है।
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