जमशेदपुर, 09 दिसंबर 2023: जमशेदपुर के करनडीह स्थित एलबीएसएम कॉलेज में शनिवार को हिंदी विभाग की ओर से सत्र 2020-23 के स्नातक प्रतिष्ठा उत्तीर्ण विद्यार्थियों के लिए विदाई समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में कॉलेज की प्रभारी प्राचार्य सह अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो मोसमी पॉल, हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो पुरुषोत्तम प्रसाद, वाणिज्य विभाग के डॉ डीके मित्रा, बांग्ला विभाग की अध्यक्ष डॉ संचिता भुईसेन, दर्शनशास्त्र के डॉ दीपंजय श्रीवास्तव, गणित विभागाध्यक्ष डॉ पीके गुप्ता, वाणिज्य विभाग के डॉ विनोद कुमार, भूगोल विभाग के डॉ संतोष कुमार, रसायन विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो अरविंद पंडित, हिंदी विभाग के डॉ सुधीर कुमार सहित कॉलेज के सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं, छात्र-छात्राएं एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी उपस्थित थे।
समारोह का संचालन तिलकेश कुमार गोप और नैन्सी एक्का ने किया। इससे पूर्व मां सरस्वती की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्जवलित व पुष्प अर्पित कर समारोह की शुरुआत की गयी। छात्र-छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किये। उत्तीर्ण विद्यार्थियों की ओर से डिंस्टिक्शन मार्क्स पाने वाली बासोरी सरदार ने अपने विचार रखे।
स्नातक की डिग्री हासिल करना केवल एक पड़ाव
समारोह को संबोधित करते हुए प्रो मोसमी पॉल ने कहा कि स्नातक की डिग्री हासिल करना केवल एक पड़ाव है। यहाँ से नयी शुरुआत होती है। उन्होंने कबीर को उद्धृत करते हुए कहा कि ‘धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय,’ यानी जीवन में लक्ष्य निर्धारण करना और उसके लिए धैर्य के साथ कर्म करते हुए निरंतर प्रयासरत रहना जरूरी है। जीवन इंस्टेंट कॉफी नहीं है, अतः कुछ भी जल्दबाजी में न करें।
प्रो पुरुषोत्तम प्रसाद ने कहा कि आज जूनियर्स सीनियर्स को प्रोत्साहित कर रहे हैं कि वे शिक्षा के क्षेत्र में और ऊंचाई हासिल करें। दरअसल यह विदाई नहीं, बल्कि वर्गांतरण है। एलबीएसएम कॉलेज में स्नातकोत्तर हिंदी की पढ़ाई शुरू होने वाली है। अब विद्यार्थी यहां से हिंदी में एमए कर सकते हैं।
डॉ डीके मित्रा ने कहा कि विद्यार्थी बहुत कुछ कर सकते हैं। उन्हें कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए। उन्हें करियर की दृष्टि से हिंदी में उच्चतर अध्ययन को लक्ष्य बनाना चाहिए। डॉ संचिता भुईसेन ने कहा कि जूनियर्स द्वारा सीनियर्स की सम्मानजनक विदाई एक परंपरा बन रही है, यह अच्छी बात है। डॉ दीपंजय श्रीवास्तव ने छात्रों को खुद को पहचानने और अपना नाम रोशन करने का सुझाव दिया।
बीए के बाद करियर के बहुत से रास्ते खुलते हैं
डॉ पीके गुप्ता ने कहा कि बीए के बाद करियर के बहुत से रास्ते खुलते हैं। विद्यार्थी जितना परिश्रम करेंगे, उन्हें उतनी सफलता मिलेगी। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि विदाई समारोह को सम्मान समारोह कहा जाए। डॉ विनोद कुमार ने कहा कि हिंदी विभाग के विद्यार्थियों में बहुत जान है। डॉ संतोष कुमार ने अध्ययन पर एकाग्र होने और प्रो अरविंद पंडित ने नॉलेज, स्किल और एटिट्यूड पर ध्यान देने का सुझाव दिया।
डॉ सुधीर कुमार ने कहा कि विदाई कभी भी संबंध विच्छेद नहीं होती, बल्कि कॉलेज में गुजारे गए दिन हमारी स्मृतियों के अनिवार्य हिस्से होते हैं। उनका हमारे जीवन और व्यक्तित्व पर प्रभाव होता है। उन्होंने रामदरश मिश्र, मंगलेश डबराल, गोरख पाडेय और योगेंद्र कृष्ण की कविताओं की चर्चा करते हुए धैर्य, लगन और संवेदनशीलता जैसे गुणों की ओर विद्यार्थियों का ध्यान आकृष्ट कराया। उन्होंने ईशावस्य उपनिषद के श्लोक को उद्धृत करते हुए सत्य के संधान पर जोर दिया।
विदाई वक्तव्य नैन्सी एक्का ने प्रस्तुत किया। राष्ट्रगान के साथ समारोह संपन्न हुआ।