गुलाबी ठंड के बीच झारखंड की राजनीति में भी गर्माहट बढ़ गई है। दोनों प्रमुख राजनीतिक दल, भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), आदिवासी वोट बैंक पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए जोर-शोर से प्रयास कर रहे हैं।
भाजपा ने आदिवासी समुदाय के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में झारखंड के गोड्डा में एम्स के जन औषधि केंद्र का उद्घाटन किया था। इस केंद्र में आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोगों को मुफ्त इलाज और सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराई जाएंगी।
भाजपा ने आदिवासी नेता बाबूलाल मरांडी को भी सक्रिय किया है। मरांडी झारखंड के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री थे। वह संताल परगना के एक प्रभावशाली नेता हैं। भाजपा ने मरांडी को राजमहल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया है।
दूसरी ओर, JMM भी आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए प्रयासरत है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी आदिवासी समुदाय के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार आदिवासी समुदाय के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
दोनों दलों के बीच आदिवासी वोट बैंक पर कब्जा जमाने की होड़ बढ़ती जा रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी लोकसभा चुनाव में कौन सा दल इस समुदाय के वोटों को अपने पक्ष में करने में सफल होता है।
आदिवासी वोट बैंक पर भाजपा की नजर
भाजपा ने आदिवासी वोट बैंक पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। पार्टी ने आदिवासी समुदाय के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की है। इन योजनाओं के माध्यम से पार्टी आदिवासियों को यह संदेश देना चाहती है कि वह उनके विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
भाजपा ने आदिवासी नेता बाबूलाल मरांडी को भी सक्रिय किया है। मरांडी झारखंड के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री थे। वह संताल परगना के एक प्रभावशाली नेता हैं। भाजपा ने मरांडी को राजमहल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया है।
मरांडी का मानना है कि भाजपा आदिवासी समुदाय के विकास के लिए बेहतर विकल्प है। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार ने आदिवासी समुदाय के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए हैं।
JMM की चुनौती
JMM भी आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए प्रयासरत है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी आदिवासी समुदाय के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार आदिवासी समुदाय के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
JMM के लिए आदिवासी वोट बैंक पर अपनी पकड़ बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा। भाजपा ने आदिवासी समुदाय के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की है। इन योजनाओं के माध्यम से भाजपा आदिवासियों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है।
आगामी लोकसभा चुनाव में कौन सा दल जीतेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।