हैदराबाद , सांसद और AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि भाजपा सरकार भले ही सबका साथ, सबका विकास का दावा करती हो लेकिन हकीकत ये है कि मुस्लिमों के साथ भेदभाव हो रहा है। उन्होंने एक स्टडी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि जिन स्थानों या इलाकों में मुसलमानों की संख्या अधिक है, वहां सरकार सार्वजनिक सेवाएं उपलब्ध करने में विफल रही है।
उन्होंने यह सवाल भी पूछा कि अगर संभल में भाजपा सरकार मस्जिद के सामने पुलिस चौकी बनवा सकती है और सीसीटीवी कैमरे लगवा सकती है तो उसके सामने स्कूल-कॉलेज या अस्पताल क्यों नहीं खोल सकती, जबकि यह पहले से और सबको पता है कि मुस्लिमों में अशिक्षा और स्कूल छोड़ने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है।
ओवैसी ने कहा कि सबसे कम स्नातकों की संख्या भी इसी कौम में हैं। बावजूद इसके सरकार उनकी शिक्षा के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाती? उन्होंने प्रतिष्ठित मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के डार्टमाउथ कॉलेज के पॉल लोवोसाड द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से यह उल्लेख किया गया है कि सरकारों ने मुस्लिम इलाकों में सार्वजनिक सेवाएं मुहैया कराने में हमेशा ही भेदभाव किया है ।
ओवैसी ने कहा कि उत्तर प्रदेश का संभल इसका जीता जागता उदाहरण है, जहां ऐतिहासिक मस्जिद के ठीक सामने एक पुलिस चौकी का निर्माण कराया गया लेकिन वहां स्कूल, कॉलेज और अस्पताल नहीं बनाया जा सका।
उन्होंने कहा कि यह एक ज्ञात तथ्य है कि मुस्लिम महिलाओं में स्कूल छोड़ने की दर सबसे ज्यादा है। इसके अलावा मुसलमानों में साक्षरता दर भी कम है। यह भी सर्वविदित तथ्य है कि मुस्लिम समुदाय में स्नातकों की संख्या सबसे कम है। इसे अलावा चिकित्सा से जुड़े भी कई मसले हैं लेकिन उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने कभी भी इन समस्याओं को हल करने में कोई रुचि क्यों नहीं दिखाई?
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