नई दिल्ली, 20 दिसंबर। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की चौथी बैठक में ईवीएम के इस्तेमाल पर नाराजगी जताई गई और मतपत्र प्रणाली के दोबारा इस्तेमाल की मांग की गई। बैठक में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और सीट बंटवारे जैसे जरूरी मुद्दों पर भी चर्चा हुई, लेकिन इन पर सहमति नहीं बन पाई।
बैठक में 28 विपक्षी दलों ने हिस्सा लिया। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि ईवीएम की अखंडता पर कई संदेह हैं। हम मतपत्र प्रणाली के दोबारा इस्तेमाल की मांग करते हैं। इससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होगा। लोगों में विश्वास बढ़ेगा।
बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया कि सांसदों का निलंबन अलोकतांत्रिक है। खरगे ने कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए हमें लड़ना होगा। हम लड़ने के लिए तैयार हैं।
प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के बारे में खरगे ने कहा कि चुनाव के बाद कोई भी फैसला किया जाएगा। हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण जीत है। हम जीत के लिए क्या-क्या कर सकते हैं, इसे लेकर सोचना होगा। क्योंकि पीएम बनने के लिए जीत आवश्यक है। हम एक साथ लड़ेंगे और बहुमत लाने की कोशिश करेंगे।
चुनावों को अब सिर्फ चार महीने
आम चुनावों को अब सिर्फ चार महीने ही बचे हैं। इस वजह से सीटों का बंटवारा सबसे अहम हो गया है। राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि हमें इस बात पर जोर देने की आवश्यकता है कि अगले तीन सप्ताह में सीट बंटवारे और जनसंपर्क का फैसला हो जाए। तेजस्वी यादव ने जोर दिया कि हमें 5 मुद्दों की आवश्यकता है, जिन्हें लेकर हम जनता के बीच जाएं और जनता उससे जुड़ सके।
बैठक के बाद सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि ईवीएम मुद्दे पर एक प्रस्ताव पारित हुआ है, जिसे चुनाव आयोग के समझ पेश किया जाएगा। कांग्रेस सांसद ने बैठक को सार्थक बताया। आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि सभी फैसले सबकी सहमति से लिए गए हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस द्वारा घोषणा की जाएगी। आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा कि चुनाव प्रचार, सीट बंटवारा और सब कुछ जल्द ही शुरू होगा। जेएमएम सांसद महुआ माजी ने कहा कि मुख्य चर्चा सीट बंटवारे को लेकर हुई।
भाजपा ने गठबंधन की बैठक पर निशाना साधा। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में क्या हुआ, सबको पता है। कमलनाथ और अखिलेश यादव भिड़ गए। छत्तीसगढ़ में केजरीवाल और कांग्रेस भिड़ गए। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि यह बैठक सिर्फ एक फोटो सेशन है। इसके अलावा बैठक का कोई मतलब नहीं है। फोटो सेशन में लालू यादव और नीतीश कुमार भी मौजूद नहीं थे, उन्होंने इसका बहिष्कार कर दिया है।