जमशेदपुर, 28 दिसंबर 2023 – भारत में बाल श्रम एक निरंतर और हानिकारक मुद्दा बना हुआ है, जो अनगिनत बच्चों से उनका बचपन छीन रहा है और उनके भविष्य को खतरे में डाल रहा है। यह बात करीम सिटी कॉलेज के वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एमएम नजरी ने कही। वे इंस्टीट्यूट फॉर सोशल डेवलपमेंट एंड रिसर्च, गारी होटवार रांची के द्वारा बाल श्रम पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में एक रिसोर्स पर्सन के रूप में भाग ले रहे थे।
डॉ. नजरी ने कहा कि बाल श्रम के मुख्य कारण गरीबी, शिक्षा संसाधनों की कमी, सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन, सस्ते श्रम का लालच, पारिवारिक परंपरा और लड़कियों के प्रति भेदभाव हैं। उन्होंने कहा कि बाल श्रम के कई हानिकारक प्रभाव हैं, जिनमें शिक्षा से वंचित होना, स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक आघात, गरीबी का कायम रहना और राष्ट्रीय विकास में बाधा आना आदि शामिल हैं।
डॉ. नजरी ने बाल श्रम उन्मूलन के लिए कई समाधान भी प्रस्तावित किए। उन्होंने कहा कि इसके लिए गरीबी उन्मूलन, शिक्षा प्रणाली को मजबूत करना, जागरूकता बढ़ाना, निष्पक्ष श्रम प्रथाओं को लागू करना, पुनर्वास कार्यक्रमों का समर्थन करना और सहयोगात्मक प्रयास (सरकारी एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों, नागरिक समाज संगठनों, व्यवसायों और काम करने वाले व्यक्ति) शामिल हैं।
बाल श्रम दूरगामी परिणामों वाला एक जटिल मुद्दा है। मूल कारणों को समझना, विनाशकारी प्रभावों को स्वीकार करना और सक्रिय रूप से व्यापक समाधान अपनाना एक ऐसा भविष्य बनाने के लिए महत्वपूर्ण है जहां हर बच्चे को आगे बढ़ने, शोषण से मुक्त होने और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने का अवसर मिले।
उन्होंने कहा कि सामूहिक कार्रवाई, अटूट प्रतिबद्धता और निरंतर प्रयासों के माध्यम से, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि भारत का भविष्य बाल संरक्षण और सशक्तिकरण की नींव पर बनाया जाए।