जमशेदपुर में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जंहा कोई देवी -देवताओं की नहीं बल्कि हाथी की पूजा की जाती है। यंहा विशेष रूप से अपने मन्नत के अनुसार चुनरी और नारियल को बांधा जाता है. और यंहा भेड़ की बलि भी दी जाती है। इस मंदिर में कई विशेषताएं है।
जमशेदपुर में एक ऐसा प्रसिद्ध मंदिर है जिसके बारे में कहा जाता है की यंहा भेड़ की बलि दी जाती है। इतना ही नहीं बलि के बाद वंहा पे जो भेड़ की खून निकलता है इसमें मखियाँ नहीं आती है कहा जाता है की यंहा हांथी की पूजा की जाती है. इसलिए इसे हाथीखेदा ठाकुर के नाम से जाना जाता है।
यंहा पूजा का एक विशेष नियम किया जाता है जिसके अनुसार यंहा का प्रसाद महिलाएं ग्रहण नहीं कर सकती है और यहां का प्रसाद घर ले जाना भी मना है दरसल यंहा महिलाओं को प्रशाद खाना सख्त मनाई है ऐसा यंहा का मान्यता है।
यंहा भक्त अपने मन्नत लेकर आते हैं तथा उसकी पूर्ति के लिए मंदिर प्रांगण में नारियल, घंटी व चुनरी आदि वस्तुएं बांधते हैं. लोग देवताओं को प्रसन्न करने के लिए भेड़ की बलि भी चढ़ाते हैं.
यंहा दूर -दूर से लोग अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने आते है और यंहा मांगी गई मन्नत पूर्ण होती है। यह मंदिर झारखंड की लोह नगरी जमशेदपुर से महज 35 किलोमीटर की दूरी पर एक ऐसा मंदिर है, जहां किसी देवी देवता का नहीं बल्कि हाथी की पूजा की जाती है.
यह मंदिर पटमदा के बोडा़म प्रखंड में बाबा हाथी खेदा ठाकुर नाम से प्रसिद्ध है. मंदिर के आसपास पहाड़ और घने जंगल होने से मंदिर की सुंदरता देखने योग्य रहती है. जिसके कारण काफी संख्या में पर्यटक यहां घूमने भी आते हैं. इस मंदिर परिसर के अंदर हाथियों की ढेर सारी मूर्तियां बनाई गई है.