जमशेदपुर 27 अप्रैल 2024 जमशेदपुर के विभिन्न निजी स्कूलों में हाल ही में जारी हुए परीक्षा परिणामों ने अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है। कक्षा 9 और 11 की परीक्षाओं में लगभग 2000 छात्र फेल हो गए हैं। इस खराब प्रदर्शन के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन अभिभावक इस स्थिति से काफी परेशान हैं।
कुछ प्रभावित स्कूलों में शामिल हैं:
एग्रिको का तारापोर स्कूल
टेल्को का हिल टॉप स्कूल
बिष्टुपुर का नरभेराम हंसराज इंग्लिश स्कूल
कदमा का आइडियल सनशाइन स्कूल
इन स्कूलों में फेल छात्रों की संख्या को देखते हुए जमशेदपुर के उप-जिलाधिकारी (एसडीओ) पारुल सिंह ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने स्कूलों के प्रबंधन से बातचीत कर फेल छात्रों को री-टेस्ट का अवसर देने का आग्रह किया।
एसडीओ पारुल सिंह के हस्तक्षेप का सकारात्मक परिणाम निकला। उपरोक्त चारों स्कूलों ने फेल छात्रों के लिए री-टेस्ट कराने पर सहमति जता दी है। इस फैसले से अभिभावक काफी खुश हैं।
अपने बच्चों को री-टेस्ट का मौका दिलाने के लिए शुक्रवार को अभिभावक संघ के बैनर तले अभिभावकों का एक समूह एसडीओ कार्यालय पहुंचा और उन्होंने एसडीओ पारुल सिंह को सम्मानित किया।
यह ध्यान देने योग्य है कि साकची के राजेंद्र विद्यालय और बर्मामाइंस के केरला पब्लिक स्कूल में भी पहले ही फेल छात्रों के लिए री-टेस्ट आयोजित किए जा चुके हैं। हालांकि, अभी भी कुछ अन्य स्कूल री-टेस्ट कराने में संकोच कर रहे हैं।
यह घटना शिक्षा व्यवस्था में कई मुद्दों को उजागर करती है। बड़ी संख्या में छात्रों का फेल होना इस बात का संकेत है कि शिक्षा प्रणाली में कहीं न कहीं कमी है।
इस मामले में उठाए गए कदम हमें कुछ महत्वपूर्ण सबक देते हैं:
एसडीओ का हस्तक्षेप: एसडीओ पारुल सिंह का यह कदम सराहनीय है। उन्होंने छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए स्कूल प्रशासन के साथ हस्तक्षेप किया।
अभिभावकों की चिंता: यह घटना इस बात का भी प्रमाण है कि अभिभावक अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर कितने गंभीर हैं। वे बच्चों की सफलता के लिए हर संभव प्रयास करने को तैयार रहते हैं।
कुछ स्कूलों का रवैया: कुछ स्कूलों का री-टेस्ट कराने में संकोच करना यह दर्शाता है कि शायद वे अपनी कमियों को स्वीकार करने में हिचकिचा रहे हैं। उन्हें छात्रों के हित को सर्वोपरि रखना चाहिए।
उम्मीद की जाती है कि जल्द ही सभी स्कूल फेल छात्रों को री-टेस्ट का अवसर प्रदान करेंगे। इससे छात्रों को अपनी गलतियों से सीखने और अगली परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा। साथ ही स्कूलों को भी अपनी शिक्षण प्रणाली में सुधार लाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति से बचा जा सके।