चतरा, 21 दिसंबर 2023: सरकारी स्कूलों में पहली से लेकर आठवीं तक हो रही अर्धवार्षिक परीक्षा कागजी खानापूर्ति तक सीमित है। परीक्षा के नाम पर हो रही अव्यवस्था ने व्यवस्था का पोल खोलकर रख दिया है। झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (JCERT) द्वारा जारी दिशा निर्देशों का खुलेआम मजाक उड़ाया जा रहा है।
बुधवार से शुरू हुई परीक्षा के पहले ही दिन अव्यवस्था देखने को मिली। स्कूलों में समय पर प्रश्न सह उत्तर पुस्तिका उपलब्ध नहीं कराई गई। परीक्षा प्रारंभ होने से कुछ समय पहले प्रश्न सह उत्तर पुस्तिका पहुंचाई गई। आश्चर्य की बात यह कि छात्रों की संख्या में प्रश्न पत्र उपलब्ध नहीं कराए गए।
कई ऐसे स्कूल हैं, जहां पर पहली कक्षा में तीस छात्र हैं तो वहां पर उन परीक्षार्थियों के लिए पांच प्रश्न पत्र उपलब्ध कराए गए। जहां पर चालीस बच्चे हैं, वहां पर बारह प्रश्न पत्र उपलब्ध कराए गए। सदर प्रखंड के लेम्ह गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय, भोज्या गांव स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय, शहर के गीता आश्राम, लाइन उर्दू, बिंड एवं कई अन्य स्कूलों में प्रश्न पत्र कम संख्या में मिले थे। उर्दू विषय के परीक्षार्थियों के लिए और बदतर व्यवस्था थी।
यह अव्यवस्था तब सामने आई, जब JCERT के उप निदेशक महीप कुमार सिंह ने परीक्षा की शुरुआत से पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट निर्देश दिया था कि परीक्षार्थियों की समय पर और संख्या के अनुकूल प्रश्न सह उत्तर पुस्तिका उपलब्ध कराएं। उन्होंने परीक्षा से पहले प्रश्न सह उत्तर पुस्तिका एवं प्रगति पत्रक का संधारण और वितरण करने के भी निर्देश दिए थे।
जिला शिक्षा पदाधिकारी दिनेश मिश्रा ने बताया कि प्रश्न सह उत्तर पुस्तिका स्टेट से आया है। प्रश्न पत्र वहीं से कम आया, जिसके कारण कुछ स्कूलों में यह समस्या उत्पन्न हुई थी। लेकिन समय रहते उनका विकल्प ढूंढ लिया गया और सभी स्कूलों में शांतिपूर्ण ढंग से पहले दिन की परीक्षा संपन्न हुई।
हालांकि, जिला शिक्षा पदाधिकारी का यह बयान परीक्षा की अव्यवस्था को छुपाने के लिए नहीं है। यह स्पष्ट है कि सरकार के स्तर पर परीक्षा को लेकर कोई गंभीरता नहीं है। सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे।
अगर सरकार इस अव्यवस्था को गंभीरता से नहीं लेगी तो यह परीक्षा कागजी खानापूर्ति बनकर रह जाएगी।