झारखंड पुलिस ने साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए ‘प्रतिबिंब’ नामक एक मोबाइल ऐप विकसित किया है। यह ऐप देशभर में साइबर अपराध में इस्तेमाल हो रहे मोबाइल नंबरों की मैपिंग करता है। इसके बाद संबंधित जिलों की पुलिस साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करती है।
प्रतिबिंब ऐप के इस्तेमाल की अनुमति अब दूसरे राज्यों की पुलिस को भी दी गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आने वाली संस्था आई4सी ने इसकी पहल की है।
देवघर जिले से अभी सर्वाधिक साइबर ठगी के कॉल हो रहे हैं। प्रतिदिन प्रतिबिंब ऐप 400-500 नंबरों को ट्रेस कर रहा है, जो देवघर जिले से सक्रिय हैं। ऐसे में सीआईडी व पुलिस मुख्यालय के ऑपरेशन विंग ने जिले में साइबर अपराधियों के खिलाफ विशेष अभियान चलाने का फैसला लिया है।
युवक के खाते से ठगों ने उड़ाए 17 हजार
डोरंडा थाना क्षेत्र के एसबीआई के समीप रहने वाले निश्चित चोपड़ा के खाते से साइबर अपराधियों ने 17 हजार रुपए की ठगी कर ली।
निश्चित ने पुलिस को बताया कि बीते 17 नवंबर को उनके मोबाइल पर राशि निकासी का मैसेज आया, जबकि उन्होंने खाते से पैसा की निकासी नहीं की थी। बैंक से पता करने पर उनके खाते से किसी अज्ञात व्यक्ति ने राशि अपने खाते में ट्रांसफर की है। इसके बाद वह थाना पहुंचे और मामला दर्ज कराया।
साइबर अपराध से बचने के लिए ये टिप्स
अनजान लोगों से फोन पर बातचीत न करें।
किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले उसकी विश्वसनीयता जांच लें।
अपने बैंक खाते और क्रेडिट कार्ड की जानकारी किसी को न दें।
अपने मोबाइल फोन पर एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करें।
अपने मोबाइल फोन को समय-समय पर अपडेट करें।
प्रतिबिंब ऐप कैसे काम करता है?
प्रतिबिंब ऐप को साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले मोबाइल नंबरों की पहचान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह ऐप दो तरह से काम करता है:
सक्रिय नंबरों की पहचान: ऐप मोबाइल नंबरों के ट्रैफ़िक को ट्रैक करता है और उन नंबरों की पहचान करता है जो नियमित रूप से साइबर अपराध से संबंधित गतिविधियों में शामिल होते हैं।
नए नंबरों की पहचान: ऐप साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे नए नंबरों की पहचान करने के लिए एक मशीन लर्निंग मॉडल का उपयोग करता है।
प्रतिबिंब ऐप देशभर में साइबर अपराध को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।