रांची, 19 नवंबर, 2023 – झारखंड की धरती सोने से लदी है। यहां दो नए सोने के भंडार मिले हैं। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) ने राज्य सरकार को इन दोनों भंडार की नीलामी की प्रक्रिया शुरू करने से संबंधित रिपोर्ट सौंप दी है।
जीएसआई के महानिदेशक जनार्दन प्रसाद ने शनिवार को अशोकनगर स्थित कार्यालय में प्रेसवार्ता कर यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रांची के तमाड़ के बाबाईकुंडी और सिंदौरी घनश्यामपुर में सोने के दो नए भंडार मिले हैं।
बाबाईकुंडी में 0.510 टन सोने का भंडार अनुमानित है, जबकि सिंदौरी घनश्यामपुर में 0.767 मिलियन टन स्वर्ण भंडार का अनुमान है।
वहीं, सोने के दो ब्लॉक की नीलामी पहले ही हो चुकी है। तमाड़ के ही परासी और सरायकेला-खरसावां में पहाड़िया स्वर्ण भंडार नीलाम तो हो चुका है, पर यहां अब तक उत्खनन शुरू नहीं हो पाया है।
परासी खदान करीब 70 हेक्टेयर में फैली है। यहां 9.894 टन सोने के भंडार का अनुमान है। साल 2017 में इसे रूंगटा माइंस ने नीलामी में हासिल किया है, लेकिन फॉरेस्ट क्लीयरेंस और दूसरी कुछ वजहों से यहां उत्खनन नहीं हो पा रहा है।
जबकि पहाड़िया गोल्ड माइंस को मैथन इस्पात ने लिया है, लेकिन यहां भी उत्खनन नहीं हो पाया है। सरायकेला में हेबन स्वर्ण खदान की भी जीएसआइ को जानकारी है, लेकिन अभी यहां और शोध चल रहा है। अभी सिर्फ लावा स्वर्ण खदान से ही उत्खनन हो रहा है।
झारखंड में लिथियम का भंडार
जीएसआई के महानिदेशक ने बताया कि जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश के नेल्लोर और राजस्थान के भीलवाड़ा में लिथियम के भंडार मिले हैं। अब झारखंड के कोडरमा में भी प्रचुर मात्रा में लिथियम के संकेत मिले हैं।
जीएसआई के महानिदेशक दो दिवसीय झारखंड दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने झारखंड में 2023-24 के दौरान किये जा रहे कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि 2050 तक बैट्री पर देश की निर्भरता काफी बढ़ने वाली है। इस हिसाब से लिथियम की भी जरूरत है।
लिथियम के निष्कर्षण के लिए होगी फंडिंग
महानिदेशक ने कहा कि भारत सरकार वैज्ञानिक संस्थाओं को लिथियम और क्रिटिकल माइनिंग के लिए फंडिंग कर रही है। उन्होंने बताया कि मिनिस्ट्री ऑफ माइंस मेटेलर्जी को बढ़ावा देने के लिए सीएसआईआर जैसी संस्थाओं के साथ एमओयू भी करने वाली है।
उन्होंने कहा कि खनिज निकालना बड़ी बात नहीं है, उसका निष्कर्षण जरूरी है। इसके लिए सिम्फर, आईएमएमटी जैसी संस्थाओं के साथ एमओयू किया जा रहा है।
जीएसआई की टीम को नहीं मिल रहा सहयोग
महानिदेशक ने कहा कि जीएसआई की टीम को खनिज भंडारों की खोज में ग्रामीणों का सहयोग नहीं मिल रहा है। डाल्टनगंज में ग्रेफाइट के भंडार के लिए ड्रिलिंग नहीं हो पायी। स्थानीय लोगों को लगता है कि उनकी जमीन चली जाएगी। इससे वहां काम नहीं हो पाया।
उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि ड्रिलिंग के बाद माइनिंग हो, यह जरूरी नहीं है। हो सकता है कि ड्रिलिंग के बाद माइनिंग न भी हो। इसलिए सहयोग करें।
झारखंड के लिए सोने और लिथियम के भंडार मिलने से बड़ी खुशखबरी है। ये दोनों खनिज देश की आर्थिक और औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।