रांची सिविल कोर्ट में लंबित स्पीडी ट्रायल मामलों में गवाहों और सबूतों के समय पर न आने के कारण मामले लंबा खिंच रहे हैं। इसका फायदा आरोपियों को मिल रहा है। लोक अभियोजक (पीपी) और सहायक लोक अभियोजक (एपीपी) ने इस समस्या को लेकर जिले के वरीय पदाधिकारियों से शिकायत की है।
पीपी और एपीपी ने बताया कि कई मामलों में बार-बार रिमाइंडर देने के बाद भी डॉक्टर इंजूरी रिपोर्ट भी समय पर नहीं देते हैं। कोर्ट से नोटिस मिलने के बाद भी सदर अस्पताल और रिम्स के डॉक्टर कोर्ट के समक्ष गवाही देने के लिए उपस्थित नहीं हो रहे हैं।
दरअसल किसी भी आपराधिक मामले में अपराधियों की गिरफ्तारी करने वाले पुलिस कर्मियों और केस की जांच करने वाले अधिकारियों का बयान काफी अहम होता है। उसी तरह दुष्कर्म, हत्या, हत्या का प्रयास या मारपीट जैसे गंभीर अपराध में मृतक का पोस्टमार्टम करने वाले या पीड़ित की जांच करने वाले डॉक्टर की गवाही भी काफी महत्वपूर्ण होती है।
रांची सिविल कोर्ट में लंबित मामलों में न तो पुलिस वाले गवाही देने आ रहे हैं और न ही डॉक्टर। इस वजह से मामले लंबा खिंच रहे हैं और आरोपियों को फायदा मिल रहा है।
पीपी और एपीपी ने इस समस्या को जल्द से जल्द दूर करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इससे न्याय की प्रक्रिया में तेजी आएगी और आरोपियों को सजा दिलाने में मदद मिलेगी।
इस संबंध में रांची के पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र कुमार झा ने कहा कि इस मामले में संबंधित थाना प्रभारियों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने अधीनस्थ पुलिस कर्मियों को स्पीडी ट्रायल के मामलों में गवाही देने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को भी कोर्ट की तरफ से नोटिस मिलने पर गवाही देने के लिए आना चाहिए।