झारखंड के अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार की एक और पोल झारखंड के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में खुली है। रिपोर्ट में बताया गया है कि झारखंड सरकार ने गलत तरीके से विधवा पेंशन और वृद्धा पेंशन का भुगतान किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड सरकार ने 2018-19 से 2021-22 के बीच 2,378 पुरुषों को विधवा पेंशन और 1,529 युवाओं को वृद्धा पेंशन का भुगतान किया है। इनमें से कई मामलों में तो पेंशनधारियों की मृत्यु हो चुकी है, लेकिन उनके नाम पर अभी भी पेंशन का भुगतान किया जा रहा है।
मृत्यु की सूचना में 65 माह तक देरी से पेंशन भुगतान
रिपोर्ट में कहा गया है कि मृत्यु की सूचना में देरी से 84 लाभार्थियों के नाम या तो बाहर नहीं किए गए या 65 माह तक की देरी की गयी। इससे मृतकों को भी पेंशन मिली। वहीं, 55 लाभार्थियों को न्यूनतम आयु मानदंड पूरा नहीं करने के बावजूद वृद्धावस्था पेंशन दी गई।
कम आयु के 3.45 लाख लाभार्थी को पेंशन बांटी
सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा दिए गए एनएसएपी के डेटा डंप के विश्लेषण से ऑडिट लीड्स का पता चला है। केंद्रीय और राज्य पेंशन योजनाओं के तहत निर्धारित आयु से कम के अपात्र राज्य स्तर पर 3.45 लाख लाभार्थी को 361.39 करोड़ और नमूना जिले के 1.10 लाख लाभार्थी को 114.16 करोड़ की पेंशन दी।
डेटाबेस में विकलांगता कॉलम में टिप्पणी नहीं करने के बाद भी विकलांगता पेंशन, विधवा कॉलम में नहीं दर्ज करने के बाद भी आवेदन की स्वीकृति में दो माह से अधिक लगाया गया। राज्य के 140 लाभार्थी एक से अधिक योजनाओं में पेंशन भुगतान पाया गया।
गैर पंजीकृत-काली सूची के संस्थानों में भी छात्रवृत्ति
महालेखाकार ने बताया कि धोखाधड़ी से छात्रवृत्ति का वितरण उन संस्थानों में भी किए गए जो न तो एनएसपी पर पंजीकृत थे, न ही पोर्टल पर लॉगऑन के लिए क्रेडेंशियल प्राप्त किए थे। चतरा और पूर्वी सिंहभूम के चार संस्थानों (पूर्वी सिंहभूम के मेहर प्राइवेट आईटीआई, जमशेदपुर आईटीआई, चतरा के आरएनएम महाविद्यालय, हंटरगंज एवं सत्यानंद भोक्ता इंटर महाविद्यालय, उनटा) के 180 छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की गयी, जबकि, उन संस्थानों को 2018-21 के दौरान पात्रता मानदंड पूरा न करने के कारण काली सूची में डाल दिया गया था। वहीं, अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना का क्रियान्वयन भी बहुत ही निराशाजनक था।
तीन लाख छात्रों को एक ही कक्षा में दो बार छात्रवृत्ति
प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के लिए ई-कल्याण डेटाबेस से पता चला कि राज्य स्तर पर 2017-20 के वर्षों में 30,675 विद्यालयों में 2.96 लाख छात्रों के छात्रवृत्ति भुगतान में अनियमितता की गयी। एक ही विद्यालय में एक ही कक्षा के पुनरावर्तक छात्रों को 3.16 करोड़ की छात्रवृत्ति अनियमित रूप से दी गयी।
612 स्कूलों के 5081 छात्रों को लगातार दो वर्षों में दसवीं कक्षा के लिए छात्रवृत्ति दी गयी। 180 स्कूलों के 5081 में से 1798 छात्रों को अनियमित रूप से अगले सत्र में दसवीं की छात्रवृत्ति दी गयी। 1049 छात्रों को पोस्टमैट्रिक छात्रवृत्ति के अलावा अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति भी दी गयी।