पटना हाईकोर्ट ने पकड़ौआ विवाह को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 10 साल पहले हुई एक शादी को अमान्य करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि जबरन शादी हिंदू विवाह अधिनियम के तहत वैध नहीं है।
मामले के मुताबिक, बिहार के नवादा जिले के रविकांत सिंह को 30 जून 2013 को लखीसराय में बंदूक की नोक पर अपहरण कर लिया गया था। इसके बाद उन्हें जबरन एक लड़की की मांग में सिंदूर लगाने के लिए मजबूर किया गया।
रविकांत ने इस शादी को रद्द करने के लिए फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की थी। फैमिली कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद रविकांत ने हाईकोर्ट में अपील की।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि जबरन शादी हिंदू विवाह अधिनियम के तहत वैध नहीं है। कोर्ट ने कहा कि शादी तब तक वैध नहीं मानी जाती है, जब तक दूल्हा-दुल्हन अपनी मर्जी से पवित्र अग्नि के चारों ओर फेरे नहीं लेते।
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में प्रतिवादी पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि सप्तपदी का मौलिक अनुष्ठान पूरा हुआ था। कोर्ट ने इस शादी को अमान्य करार देते हुए कहा कि यह कानून की नजर में अमान्य है।
यह फैसला पकड़ौआ विवाह के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है। यह फैसला यह सुनिश्चित करेगा कि महिलाओं की इच्छा के विरुद्ध जबरन शादी को कानूनी मान्यता नहीं दी जाएगी।
फैसले के बाद रविकांत ने कहा कि उन्हें न्याय मिला है। उन्होंने कहा कि वह इस फैसले से खुश हैं।
**गौरतलब है कि बिहार में पकड़ौआ विवाह एक सामाजिक बुराई है। इस प्रथा के तहत लड़कियों को जबरन शादी के लिए मजबूर किया जाता है।