रांची, 10 दिसंबर 2023। झारखंड में नदियों का पानी तेजी से प्रदूषित हो रहा है। प्रदूषण के कारण नदियों में ऑक्सीजन की मात्रा में कमी आ रही है। झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक दर्जन से अधिक जगहों से नदियों के पानी के सैंपल की जांच की थी। जांच में पाया गया कि नदियों के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है। हैरान करने वाली बात यह है कि 100 मिली लीटर पानी में 1600 से अधिक बैक्टीरिया हैं। यह पानी मछलियों और जानवरों के लिए भी सुरक्षित नहीं है। यह नदियों के आसपास रहने वालों के लिए भी खतरनाक है।
जांच में यह भी बात सामने आई है कि नदियों के पानी का पीएच मानक सामान्य से काफी अधिक है। आइएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक, जिस पानी का पीएच सात से अधिक होता है, वह पीने के लिए स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से अच्छा नहीं होता है। पीएच लेवल सात हो जाने पर पीने के पानी का अम्ल और क्षार दोनों नष्ट हो जाता है।
जिन नदियों के पानी का सैंपल लिया गया था, वहां का पानी जानवरों और मछलियों के लिए भी सुरक्षित नहीं है। जानवरों और मछलियों के लिए पानी में बायलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) की मात्रा 1.2 मिलीग्राम से कम होनी चाहिए। जबकि झारखंड की नदियों में इसकी मात्रा सात मिलीग्राम प्रति लीटर से लेकर 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर तक है। इसकी वजह से काफी संख्या में मछलियां मर रही हैं। जानवरों को भी कई तरह की बीमारियां हो रही है।
औद्योगिक अपशिष्ट, घरेलू कचरा और कृषि अपशिष्ट का बहाव शामिल
नदियों के पानी के प्रदूषण के कारणों में औद्योगिक अपशिष्ट, घरेलू कचरा और कृषि अपशिष्ट का बहाव शामिल है। औद्योगिक अपशिष्ट में मौजूद रसायन और भारी धातुएं नदियों के पानी को दूषित कर रही हैं। घरेलू कचरे में मौजूद गंदगी और बैक्टीरिया भी नदियों के पानी को प्रदूषित कर रहे हैं। कृषि अपशिष्ट में मौजूद उर्वरक और कीटनाशक नदियों के पानी को प्रदूषित कर रहे हैं।
झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नदियों के पानी के प्रदूषण को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं। बोर्ड ने नदियों के किनारे बसे औद्योगिक इकाइयों को प्रदूषण नियंत्रण मानकों का पालन करने के निर्देश दिए हैं। बोर्ड ने नदियों के किनारे रहने वाले लोगों को भी घरेलू कचरे का उचित निपटान करने के लिए जागरूक किया है।
हालांकि, इन उपायों से नदियों के पानी के प्रदूषण को रोकने में अभी तक सफलता नहीं मिली है। नदियों के पानी के प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार और आम लोगों को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है।
नदी जांच स्थल और बीओडी का मानक ( मिलीलीटर ग्राम)
नदी का नाम किस जगह जांच वर्तमान बीओडी बीओडी का मानक
गर्गा-तलमच्चो तलमच्चो ब्रिज 4.2 मिग्रा प्रति लीटर 3 मिग्रा प्रति लीटर से कम
स्वर्णरेखा नामकुम ब्रिज 3.2 मिग्रा प्रति लीटर 3 मिग्रा प्रति लीटर से कम
स्वर्णरेखा टाटीसिल्वे 3.3 मिग्रा प्रति लीटर 3 मिग्रा प्रति लीटर से कम
स्वर्णरेखा जमशेदपुर 7.0 मिग्रा प्रति लीटर 3 मिग्रा प्रति लीटर से कम
जुमार कांके 3.1 मिग्रा प्रति लीटर 3 मिग्रान प्रति लीटर से कम
शंख बोलवा सिमडेगा 2.1 मिग्रा प्रतिलीटर 3 मिग्रा प्रति लीटर से कम
स्वर्णरेखा गेतलसूद 2.7 मिग्रा प्रति लीटर 3 मिग्रा प्रति लीटर से कम
स्वर्णरेखा मूरी रोड ब्रिज 2.6 मिग्रा प्रति लीटर 3 मिग्रा प्रति लीटर से कम
नलकरी पतरातू 2.9 मिग्रा प्रति लीटर 3 मिग्रा प्रति लीटर से कम
इन जगहों का पानी जानवरों और मछिलयों के लिए सुरक्षित नहीं
जगह बीओडी की मात्रा मानक से अधिक
तलमच्चो ब्रिज(गर्गा) 4.2 मिलीग्राम प्रति लीटर
बोलवा सिमडेगा(शंख) 2.1 मिलीग्राम प्रति लीटर
हटिया डैम 1.9 मिलीग्राम प्रति लीटर
नामकुम (स्वर्णरेखा) 3.2 मिलीग्राम प्रति लीटर
टाटीसिल्वे (स्वर्णरेखा) 3.3 मिलीग्राम प्रति लीटर
गेतलसूद डैम 2.7 मिलीग्राम प्रति लीटर
मूरी रोड(स्वर्णरेखा) 2.6 मिलीग्राम प्रति लीटर
जमशेदपुर (स्वर्णरेखा) 7.0 मिलीग्राम प्रति लीटर
धनबाद (दमोदर) 2.0 मिलीग्राम प्रति लीटर
कांके डैम (जुमारर) 3.1 मिलीग्राम प्रति लीटर
पतरातू डैम (नलकरी) 2.9 मिलीग्राम प्रति लीटर
जानवरों और मछलियों के लिए बीओडी का मानक 1.2 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम होना चाहिए.