झारखंड के रांची रेल मंडल में तत्काल टिकट पर दलालों का डाका जारी है। दलाल निजी आइडी और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर एक साथ कई टिकट बुक कर लेते हैं। इसकी वजह से आम लोगों को टिकट मिलना मुश्किल हो जाता है।
दलालों का तरीका है कि वे पहले से ही एक सॉफ्टवेयर तैयार कर लेते हैं। इस सॉफ्टवेयर की मदद से वे एक साथ कई यात्रियों की सारी जानकारी पहले से ही फीड कर देते हैं। तत्काल टिकट खुलते ही चंद सेकेंड में सभी टिकट कंफर्म हो जाते हैं।
दलाल यह काम निजी आइडी पर ही करते हैं। क्योंकि, तत्काल टिकट खुलने के पहले 15 मिनट में सिर्फ आम लोगों को ही निजी आइडी से टिकट काटने की अनुमति रहती है। 15 मिनट के बाद एजेंट आइआरसीटीसी के आथराज्ड कॉमर्शियल आइडी से टिकट काट सकते हैं, तब तक काफी विलंब हो जाता है। अधिकतर टिकट बुक हो जाते हैं।
एक दलाल 22-25 निजी आइडी बनाते हैं ताकि निर्धारित संख्या में प्रयोग करने बाद आइडी से टिकट काटना बंद कर दें। बदल-बदल कर निजी आइडी का इस्तेमाल करते हैं। एक निजी आइडी, जो आधार से लिंक नहीं है। उससे एक माह में छह टिकट और आधार से लिंक आइडी से एक माह में 12 टिकट काट सकते हैं।
दलाल निजी आइडी का व्यवसायीकरण करते हैं, जो रेलवे द्वारा पूर्ण रूप से प्रतिबंध है। ऐसा करने वालों पर रेलवे द्वारा कानूनी कार्रवाई की जाती है। यहां तक की उसका एजेंटशिप भी रद्द कर दिया जाता है।
हाल ही में रांची रेल मंडल में एक महीने में 642 टिकट जब्त किए गए। नियमों का उल्लंघन करते हुए इन टिकट को काटा गया है। 642 टिकट की कीमत 14.17 लाख है। इस दौरान 41 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। कुल 39 मामलों में आरपीएफ द्वारा कार्रवाई की गई है।
शातिरों को पकड़ने के लिए प्रबल डाटा सॉफ्टवेयर की मदद
रेलवे इन शातिरों को पकड़ने के लिए प्रबल डाटा सॉफ्टवेयर की मदद लेता है। निजी आइडी से 15 से अधिक टिकट कटने पर ब्लिंक का सिगनल छोड़ता है, जिसमें निजी आइडी की पूरी जानकारी देता है। इसी के आधार पर मौके पर आरपीएफ की टीम पहुंचकर कार्रवाई करती है।
टिकट कंफर्म की गारंटी के नाम पर कई दलाल एक हजार रुपये एक टिकट पर लेते हैं। विशेष त्योहार और लगन के दौरान इनकी कमीशन राशि और बढ़ जाती है।
रेलवे ने आम लोगों से अपील की है कि वे तत्काल टिकट बुकिंग के लिए रेलवे की वेबसाइट या ऐप का इस्तेमाल करें। निजी एजेंटों से टिकट बुक करने से बचें।