नई दिल्ली, 12 दिसंबर 2023: भारतीय रेलवे की मालगाड़ियों की औसत गति में 2019-20 के पूर्व-कोविड समय से कोई सुधार नहीं हुआ है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को राज्यसभा में बताया कि 2019-20 में मालगाड़ियों की औसत गति 23.6 किमी/घंटा थी, वहीं 2023-24 (नवंबर तक) में भी इसमें कोई सुधार दर्ज नहीं किया गया है।
वहीं, यात्री ट्रेनों की औसत गति में मामूली वृद्धि हुई है। 2019-20 में मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की औसत गति 50.6 किमी प्रति घंटे थी, जो 2023-24 (नवंबर तक) में बढ़कर 51.1 किमी प्रति घंटे हो गई है। साधारण ट्रेनों की औसत गति भी 2019-20 में 33.5 किमी प्रति घंटे से बढ़कर 2023-24 में 35.1 किमी प्रति घंटे हो गई है।
2020-21 से 2022-23 तक का कोई भी डेटा साझा नहीं किया
रेलवे ने वर्ष 2020-21 से 2022-23 तक का कोई भी डेटा साझा नहीं किया है। रेल मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि कोविड के बाद जब परिचालन को क्रमबद्ध तरीके से फिर से शुरू किया गया तो सभी ट्रेनों की औसत गति में सुधार हुआ। चूंकि जून 2022 में पूरा परिचालन शुरू किया गया था, इसलिए इसने किसी भी तुलना के लिए 2021-22 और 2022-23 के डेटा की रिपोर्ट नहीं की।
वरिष्ठ ट्रेन नियंत्रकों और मालगाड़ी चालकों का कहना है कि सिग्नल, ट्रैक, ओएचई आदि का निरंतर रखरखाव, कुछ ऐसे कारण हैं जो ट्रेनों की गति को सीमित करते हैं। 4 अगस्त को रेलवे बोर्ड को लिखे एक पत्र में, ट्रेन संचालन से जुड़े एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी, प्रणय प्रभाकर ने कहा, ‘स्टेशन मास्टर और सेक्शन कंट्रोलर का प्रारंभिक ग्रेड वेतन VIIth CPC (केंद्रीय वेतन आयोग) में समान कर दिया गया था। इसके अलावा स्टेशन मास्टर वर्ग में ट्रेन नियंत्रक पद के लिए आवेदन करने में अनिच्छा है।’
प्रभाकर ने कहा कि इन कारणों से ट्रेनों की गति में सुधार नहीं हो पा रहा है। उन्होंने रेलवे बोर्ड से इन समस्याओं का समाधान करने का आग्रह किया है।