चौदह टेस्ट इनिंग में उन्होंने 1000 रन पूरे किए थे और यही उनके पास एक मात्र उपलब्धि है..
लेकिन ध्यान रहे टेस्ट मैच में पदार्पण के दो साल पहले वो एक दिवसीय मैच खेलना शुरु कर चुके थे।
उनके पास सौ से ज्यादा एक दिवसीय मैचों में मात्र दो शतक हैं.. और औसत देखेंगे तो नजर नीची हो जाएगी।
ऐसा बल्लेबाज जिसको अपने इंटरनेशनल करियर में एक, दो नही..पूरे 9 कम बैक मिले। लेकिन वो सदैव फ्लॉप रहे….
कमजोर फ्रंटफुट, शॉर्ट बॉल उनकी कमजोरी थी..
और विदेशी पिचों पर पूरी तरह फ्लॉप थे…..
इसलिए यह कहना बंद कर दीजिए, और इस गिल्ट से बाहर निकलिए कि वो सचिन के स्तर वे बल्लेबाज थे। बहुत मौका मिला.. साबित नही कर पाए।
काम्बली कभी सचिन को छू भी नही पाए।
हां..! शारदा आश्रम में सचिन के साथ खेली गई उनकी यादगार पारी उनके जीवन की सबसे बेहतरीन घटना थी।
विनोद काम्बली के साथ पूरा न्याय हुआ था, बस वो अपने आपको साबित करने में असफल रहे।
आप मेरी बात से असहमत हो सकते हैं.. लेकिन सच कड़वा जरूर है…