प्रगाढ़ आस्था माता वैष्णो देवी की विषेशताएं-
कटरा से त्रिकुटा की ओर-
सूर्य की पहली किरणें त्रिकुटा की चोटियों को छूती हैं, जहाँ माता वैष्णो देवी का पवित्र धाम विराजमान है। कटरा शहर की हलचल धीरे-धीरे तीर्थयात्रियों की ऊर्जा से भर उठती है। हर चेहरे पर एक ही लक्ष्य – माता के दर्शन का आशीर्वाद प्राप्त करना।
यात्रा कटरा से शुरू होती है, यात्रियों की कतारें धीरे-धीरे बनती हैं, जहाँ हर कदम श्रद्धा से भरा होता है। यात्रा कठिन है, पहाड़ की चढ़ाई सांसें तो अटकाती है, पर माता के दर्शन की लालसा हर कदम को हल्का कर देती है। रास्ते में भक्तों के जयकारे गूंजते हैं, “जय माता वैष्णो!” की ध्वनि पहाड़ों को भी झुका देती है।
माता वैष्णो देवी का अवतार-
त्रिकुटा की पवित्र गुफाओं में माता वैष्णो देवी की कथा सदियों से सुनाई देती है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, माता वैष्णो देवी त्रिदेवियों – पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती का स्वरूप हैं।


एक कथा के अनुसार, माता सती के आत्मदाह के बाद भगवान शिव शोक में डूब गए थे। दुनिया को त्राहि त्राहि करने वाले राक्षसों से निपटने के लिए माता आदिशक्ति ने योगमाया का सहारा लिया और वैष्णो देवी का रूप धारण किया। माता वैष्णो देवी ने राक्षसों का वध कर धर्म की स्थापना की।
अर्द्धकुमारी से भवन तक-
यात्रा के दौरान, श्रद्धालु माता वैष्णो देवी के विभिन्न चरणों के दर्शन करते हैं। पहला चरण अर्द्धकुमारी का है, जहाँ माता ने अपने बाल रूप में निवास किया था। इसके बाद पंचतरणी आता है, पाँच पवित्र धाराओं का संगम है ,जहाँ स्नान कर श्रद्धालु पवित्र होते हैं।
विष्णु पाद के दर्शन माता के चरण चिन्हों का आशीर्वाद प्राप्त करना है। फिर आता है आदिकुमारी का पवित्र गुफा मंदिर, जहाँ माता ने राक्षसों से युद्ध करने के लिए शक्ति प्राप्त की थी,और अंत में भवन, जहाँ माता का मुख्य मंदिर स्थित है, यहाँ माता के तीन पिंडियों के दर्शन होते हैं – महाकाली, माता वैष्णो और महासरस्वती।


आस्था और आत्मबल की परीक्षा-
वैष्णो देवी की यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं है, बल्कि यह आत्मबल और धैर्य की परीक्षा भी है। हर कदम के साथ श्रद्धालुओं की आस्था मजबूत होती जाती है। पहाड़ों की चढ़ाई शारीरिक शक्ति की परीक्षा लेती है, वहीं रास्ता भटकाने का भय मन को विचलित करता है। पर माता पर अटूट विश्वास हर कठिनाई को पार करा देता है।
आत्मिक शांति और प्रसाद-
माता के दर्शन के बाद श्रद्धालुओं के चेहरों पर एक अलौकिक शांति दिखाई देती है। मानो मन के सारे बोझ हल्के हो गए हों। यात्रियों के बीच आपसी प्रेम और भाईचारा गहरा होता है। भंडारे लगाकर श्रद्धालु अपना सौभाग्य दूसरों के साथ बाँटते हैं।
वैष्णो देवी की यात्रा एक ऐसी यात्रा है, जो न केवल माता का आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम है, बल्कि यह आत्म-खोज और आत्म-साक्षात्कार का मार्ग भी खोलती है।
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